फ्रेडी फिल्म रिव्यु!

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मिस्ट्री और सस्पेंस का बेजोड़ मेल

Image of Kartik Aaryan lead in the reviewed film
Image of Kartik Aaryan lead in the reviewed film

प्लॉट: यह फिल्म एक 28 साल के दंत चिकित्सक की कहानी पर बनाई गई है, जिसका अभी तक विवाह नहीं हुआ, जो कि चेहरे से बहुत सीधा-साधा और भोला भाला दिखता है, पिछले 5 साल से Matrimonial Sites की मदद से लड़कियां देख चुका है, पर सभी लड़कियाँ उसे रिजेक्ट कर चुकी हैं| क्या कभी उसकी शादी हो पाएगी? क्या कोई लड़की उसे पसंद करेगी? और क्या वह कुंवारा ही रह जाएगा? जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी|

टोन और थीम: यह फिल्म साइकोलॉजिकल थ्रिलर टोन पर आधारित है| इस फिल्म की थीम Suspense and Mystery है| इस फिल्म को बनाने का मकसद यह है कि एक बच्चे का दिमाग बचपन में घरेलू हिंसा को देखकर वैसा ही बन जाता है जब वह जवान होता है, इसलिए अपने बच्चों के सामने मां-बाप को किसी भी तरह का गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए, नहीं तो बच्चा बड़ा होकर वैसा ही बन जाता है और उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है|

एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: फ्रेडी के रोल में कार्तिक आर्यन ने कमाल का अभिनय किया है, चाहे उसकी बॉडी लैंग्वेज हो, फेस एक्सप्रेशंस हो, इमोशंस हो, डर हो, Shyness हो, डायलॉग डिलीवरी हो, या फिर किसी को मारने का वहशीपन हो, उन्होंने हर तरह के इमोशंस को पर्दे पर दिखाकर अपने अभिनय का लोहा मनवाया है| कैनाज़ के रोल में अलाया एफ का अभिनय भी दमदार है ग्रे शेड्स लिए हुए हैं, उनको दो तरह के रोल एक ही फिल्म में करने को मिल गए जैसे घरेलू हिंसा की शिकार पत्नी और नकारात्मक लड़की का| उन्होंने भी अच्छे ढंग से अपने रोल को निभाया| वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लंबी रेस का घोड़ा बन सकती हैं| रेमंड के रोल में करण ए पंडित का अभिनय भी ठीक-ठाक कहा जा सकता है, फिल्म में करने के लिए उसको जितना भी रोल मिला उसने ठीक-ठाक निभा दिया| रुस्तम के रोल में सज्जाद डेलफरूज़ का छोटा सा रोल था, पर उन्होंने भी अभिनय अच्छा किया|

रिटेन एंड डायरेक्शन: इस फिल्म का डायरेक्शन शशांक घोष ने किया है, इस फिल्म से पहले वह वीरे दी वेडिंग और खूबसूरत 2014, दोनों ही सफल फिल्में थी, बना चुके हैं, फिल्म पर उनकी शुरू से लेकर अंत तक पूरी पकड़ है, उन्होंने फिल्म में मिस्ट्री और सस्पेंस का जो बेजोड़ फॉर्मूला दिखाया है वह बहुत ही शानदार और लाजवाब कहा जा सकता है, उनका निर्देशन बहुत ही कमाल का है, उन्होंने फिल्म को एक अलग तरह से दिखाने का बहुत बढ़िया प्रयास किया है| सभी पात्रों से बहुत अच्छा अभिनय निकलवा लाए, कुछ दृश्य तो फिल्म के बहुत ही जबरदस्त फिल्माए गए हैं, फिल्म में सस्पेंस को भी बखूबी छुपा लिया गया, पता नहीं फिल्म की कहानी में आगे क्या होगा, फिल्म देखते समय दर्शक जो भी सोच रहा होगा, लेकिन अगले ही पल फिल्म में कुछ और हो रहा होता है|

एडिटिंग: चंदन अरोड़ा की कसी हुई है, फिल्म की गति भी तेज है|

शुरू से लेकर अंत तक फिल्म बिल्कुल भी पटरी से नहीं उतरी|

कहानी-पटकथा: परवेज़ शेख ने अच्छे से लिखी है, कहानी में सस्पेंस को बरकरार रखा गया है|

पटकथा में बिल्कुल भी किसी भी प्रकार से कमी नजर नहीं आती|

सिनेमैटोग्राफी: अयनंका बोस की बहुत ही बढ़िया है, मुंबई को बहुत ही खूबसूरती से दिखाया है,

Roads के दृश्य हो या घर के बहुत अच्छा फिल्मांकन है|

बैकग्राउंड स्कोर: क्लिंटन सरोजो का फिल्म के मूड के अकॉर्डिंग है|

प्रोडक्शन डिजाइन: रजत पोद्दार का पुराने घर का बहुत अच्छा बनाया गया है|

साउंड डिजाइन: अनिर्बान सेनगुप्ता का भी अच्छा है|

म्यूजिक: प्रीतम का ठीक-ठाक है, फिल्म में म्यूजिक का ज्यादा स्कोप भी नहीं है,

एक दो गीत अच्छे बन पड़े हैं तुम जो मिलो और काला जादू|

लिरिक्स: इरशाद कामिल के लिखे हुए गीत भी ठीक-ठाक हैं|

क्लाइमेक्स: फिल्म के क्लाइमेक्स में बहुत बड़ी गलती कर दी, इस तरह का नहीं बनाना चाहिए था|

इसको देखकर मैं बहुत Dissapointed हुआ| क्योंकि इससे अलग तरह का हटकर क्लाइमेक्स बन सकता था,

पर पता नहीं निर्देशक क्लाइमेक्स में इतना ज्यादा हिंसात्मक दृश्य दिखाकर क्या साबित करना चाहता है|

ओपिनियन: One Time Watch!

Flaws: कुछ दृश्य गले से नीचे नहीं उतरते जैसे चाबी बनवाकर उसके घर में घुस जाना, कैनाज़ के पति का मर्डर होता है,पर पुलिस की कार्रवाई सख्ती से नहीं दिखाई गई, रुस्तम अपनी पत्नी को मारता था पर उसकी पत्नी उसको क्यों मरवाना चाहती थी सिर्फ एक रेस्टोरेंट के Ownership पाने के लिए जबकि वह उन्हीं दोनों का ही था, फ्रेडी का पुलिस को एक अलग डेट और टाइम का मैसेज दिखाकर बच जाना, क्लाइमेक्स में दोनों को जिंदा गाड़ देना, हजम नहीं होता, एक Tortoise के लिए दोनों को मार देना कहा तक जायज़ है यह दर्शकों पर छोड़ देते है|

Suspense Scene: फिल्म में एक ऐसा दृश्य है, जिसमें सस्पेंस खुलता है, पर दर्शक उस दृश्य को फिल्म देखते समय समझ नहीं पाते |

पॉजिटिव मैसेज: एक बच्चे का दिल और दिमाग बहुत नाजुक होता है, इसलिए बच्चों के सामने हिंसा, घरेलू हिंसा, मारपीट नहीं करनी चाहिए|

बच्चा फिर बड़ा होकर इस प्रवृति का बन जाता है|

CBFC-U/A Movietime-2h.4mins Genre-A Psychological Thriller Backdrop-Parsi Community (Mumbai) Release Year-2022

Film Cast: Kartik Aaryan, Alaya F, Sajjad Delafrooz and Karan A. Pandit

Director: Shashanka Ghosh, Producer: Narendra Hirawat, Shreyansh Hirawat, Shobha Kapoor, Ektaa R Kapoor, Jay Shewakramani

Music: Pritam, Lyrics: Irshad Kamil, Action: Amrit Pal Singh

Costume Design: Aki Narula, Anirudh Singh, Dipika Lal, Production Design: Rajat Poddar

Sound Design: Anirban Sengupta, Mix Engineer: Sudeepa Sadhukhan, Background Score: Clinton Cerejo

Cinematography: Ayananka Bose, Editor: Chandan Arora, Story & Screenplay: Parveez Shaikh, Dialogues: Aseem Arora

Co-Produced: Gaurav Bose, Bhavini Sheth, Ruchikaa Kapoor Sheikh, Choreography: Piyush & Shazia

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