प्लॉट: यह फिल्म एक लड़के की कहानी पर बनी है, उसका जब जन्म होता है तो वह अपने असली मां-बाप के पास ना पलकर मां-बाप की कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी के घर पर पलता है| क्या उसको किसी और बच्चे के साथ बदल दिया जाता है? अगर बदला जाता है तो क्यों बदला जाता है? क्या कर्मचारी ने खुद ही बदल दिया अपने बच्चें को मालिक के बच्चे से? क्या उसे कभी अपने असली मां-बाप के बारे में पता चल पाएगा? इन जवाबों को जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी
टोन और थीम: यह फिल्म एक्शन ड्रामा टोन पर बनी है, इस फिल्म को बनाने का मकसद सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन है, और कुछ नहीं|
एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: बंटू के रोल में कार्तिक आर्यन का अभिनय ठीक-ठाक कहा जा सकता है ऐसा लगता है जैसे कोई पुरानी घिसी पीटी फिल्म को देख रहा हो| उनके अभिनय में कुछ भी नयापन नहीं है घिसा पिटा रोल है| फिल्म में समारा के रोल में कृति सेनन के लिए कुछ खास नहीं था करने के लिए सिवाय दो-तीन गाने और छोटे-छोटे कपड़े पहने के, उनको फिल्म में पूरी तरह से Waste किया गया है| वाल्मीकि के रोल में परेश रावल का अभिनय भी ठीक-ठाक है, उनके अभिनय में कुछ भी नया नहीं है| यशु की भूमिका में मनीषा कोइराला का अभिनय भी कुछ खास नहीं है उनका अभिनय बड़ा ही बनावटी सा लग रहा है इतनी बेहतरीन और टैलेंटेड अभिनेत्री इस तरह की भूमिका को स्वीकार कैसे कर सकती है समझ से परे हैं| सपोर्टिंग कास्ट के रोल भी ठीक-ठाक है लेकिन फिल्म को आगे बढ़ाने में बिल्कुल भी सहायक नहीं बनते|
डायरेक्शन: इस फिल्म का डायरेक्शन रोहित धवन ने किया है जो अभिनेता वरुण धवन के बड़े भाई भी है| उन्होंने इस से पहले Desi Boyz (2011), Dishoom (2016) को निर्देशित किया है दोनों ही फिल्में उनकी औसत दर्जे की थी यह फिल्म उनकी Below Average बनकर रह गई, यह फिल्म एक तेलुगू फिल्म अला वैकुंठापुररामुलू की रीमेक है ओरिजिनल स्टोरी स्क्रीनप्ले ही अडॉप्ट किया गया है जो की एक ब्लॉकबस्टर फिल्म थी लेकिन यह फिल्म असफल है और दर्शकों ने इस फिल्म को सिरे से नकार दिया है|
कहानी-पटकथा: भी बहुत कमजोर है, कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है, ऐसा लगता है कि हर पात्र को फिल्म में जबरदस्ती ठूँसा गया है, डायलॉग भी ठीक-ठाक है|
सिनेमाटोग्राफी: संजय एफ गुप्ता और सुदीप चैटर्जी की अच्छी है, मुंबई दिल्ली और मॉरीशस की लोकेशंस को बहुत ही सुंदर से दिखाया गया है|
एडिटिंग: रितेश सोनी की ठीक है, इंटरनल तक फिल्म में कुछ भी कहानी नहीं है, कहीं-कहीं पर फिल्म बहुत बोर भी करती है, ऐसे लगता है कि फिल्म को खींचा जा रहा है|
बैकग्राउंड स्कोर: Julius Packiam ठीक-ठाक है|
प्रोडक्शन डिजाइन: सुरेश सेलवाराजन बहुत अच्छा है|
साउंड डिजाइन: परीक्षित लालवानी भी ठीक-ठाक है|
म्यूजिक: प्रीतम का बहुत कमजोर है, एक दो गाने ही ठीक-ठाक बन पड़े हैं
चेडखानिया और कैरेक्टर ढीला 2.0 अच्छे बन पड़े हैं|
लिरिक्स: कुछ खास नहीं लिखे गए|
क्लाइमैक्स: ठीक-ठाक है|
ओपिनियन: Only for Timepass!
Flaws: मालिक और कर्मचारी के यहाँ, दोनों बच्चे एक ही दिन कैसे पैदा हो सकते हैं, यह सिर्फ हिंदी फिल्मी दुनिया और हिंदी फिल्मों में ही हो सकता है, बच्चों की अदला बदली सिर्फ हिंदी फिल्मों में ही संभव है,
असली जिंदगी में नहीं इन सभी त्रुटियों को काल्पनिक मानकर इग्नोर कर सकते हैं सिर्फ मनोरंजन के तौर पर ले|
मैं इस फिल्म के बारे में ज्यादा कुछ नहीं लिख सकता था क्योंकि फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है
कि फिल्म पर अच्छे से रिसर्च करके लिखा जाए इसके लिए माफी चाहता हूं|
CBFC-U/A Movietime-2h.25mins Genre-Action Drama Release Year-2023
Kartik Aaryan, Kriti Senon, Paresh Rawal, Manisha Koirala, Sachin Khedekar, Ronit Roy, Rakesh Bedi
Director: Rohit Dhawan, Producer: Bhushan Kumar, Krishna Kumar, S Radha krishna, Aman Gill, Kartik Aryan
Original Story and Screenplay: Trivikram, Adapted Screenplay: Rohit Dhawan
Music: Pritam, Lyrics: Kumaar, Mayur Puri, IP Singh, Shloke Lal
Dialogues: Hussain Dalal, Production Design: Suresh Selvarajan, Cinematography: Sanjay F Gupta, Additional Cinematography: Sudeep Chatterjee
Action: Anl Arasu, Editor: Ritesh Soni, Sound Design: Parikshit Lalvani, Kunal Mehta, Original Background Score:, Julius Packiam
Choreography: Ganesh Acharya, Bosco-Caesar, Casting Director: Mukesh Chhabra, Costume Design: Aki Narula, Samidha Wangnoo, Tanya Ghavri